– शैलेन्द्र
रूस, सम्भावनाओं का देश है। इन्हीं सम्भावनाओं की तलाश में मेरा मॉस्को आना हुआ। भारत में अपने विश्वविद्यालय में स्नातक डिग्री के दौरान इस देश से अलग सा लगाव हो गया था। रूसी साहित्य ने मुझे बहुत प्रभावित किया; और यहाँ की संस्कृति ने आकर्षित। यहाँ आने की लालसा दिन-ब-दिन बढ़ती गई। ग्रेजुएशन के अंतिम दिनों में रूसी सरकार द्वारा स्कॉलरशिप दी गई और इस तरह मेरा यहाँ आने का सपना पूर्ण हो पाया। रूस आने से पहले मन में बहुत से असमंजस, पूर्वाग्रह व सवाल थे। जो यहाँ कुछ महीने रह कर दूर हो गए।
रूस की राजधानी मॉस्को में हमारा विमान मध्य सितम्बर में, सुबह-सुबह उतरा। यह पतझड़ का समय था। मॉस्को अपने खूबसूरत आवरण में प्रकृति के अलग– अलग ख़ूबसूरत रंग लिए सजा हुआ था। शरद ऋतु के इस समय को रूस घूमने के लिए अच्छा समय माना जाता है, कुछ महीनों में शीत ऋतु आने वाली होती है तो लोग खुलकर घूमते हैं , मौसम का आनंद लेते हैं। सेब के पेड़ सेबों से लदे हुए होते है और उनमें इन दिनों अन्तिम फल लगते है। इसके कुछ महीनों के भीतर ही पूरा शहर बर्फ़ से ढँक जाता है, और यहाँ का तापमान भी औसतन – 30°C से – 35°C तक पहुँच जाता है।
रूस का मौसम बड़ा विचित्र है जिसका अंदाजा लगा पाना मुश्किल है। कभी-कभी सुबह को यहाँ का मौसम साफ़ व धुपमयी होता है तो कभी दोपहर या शाम तक कड़ाके की ढंड इस तरह पड़ने लगती है कि शरीर की हड्डियाँ भी गल जाए, तो कभी बारिश होने लगती हैं। यदि आपको बाहर निकलना है तो पूरी तैयारी के साथ निकलना होता है। रूस में यदि आपने कुछ वर्ष सफतापूर्वक बिता लिए तो यकीन मानिए धरती के किसी भी कोने में आपको रहने के लिए अभ्यास हो जाएगा।
रूस मस्तमौला लोगों की जगह है, यहाँ के लोग अच्छा खाते है, बेफिक्र होकर पीते है, सज-धज के घूमते है, फ़िल्मे देखते है,क़िताबें पढ़ते हैं और जमकर काम करते है। काम छोटा है या बड़ा इस बात को तवज्जों नहीं दिया जाता। बच्चे बालिग़ होते ही खुद का खर्चा उठाने लगते है। यहाँ-वहाँ काम करके पैसे कमाते है, पढ़ते है और जल्द ही खर्च कर देते हैं। ठंड के कारण यहाँ सिगरेट व शराब पीने का कल्चर आम हो गया हैं। छात्र से लेकर बूढ़ा व्यक्ति भी धूम्रपान करता है।
हम भारतीयों को थोड़ा तीख़ा व मसाले वाला खाना खाने की आदत होती है, यहाँ के लोग थोड़ा फीका व मीठा खाना पसंद करते है इसलिए शुरू के कुछ महीने रहने में दिक्कत आती है लेकिन समय से साथ लोग अपने आप को इसके अनुरूप ढाल ही लेते है।
विश्वविद्यालय की बात की जाए तो यहाँ की पढ़ाई बेहतरीन हैं। कक्षाओं का आकार भारतीय कक्षाओं की तुलना में छोटा होता है। जिससे शिक्षक सभी छात्रों पर ध्यान दे पाते हैं। अनुशासन का सख़्ती से पालन किया जाता है। शिक्षक भी समय के पूर्व ही पहुँच जाते है। हॉस्टलों में लगभग हर देश के लोग साथ रहते है, जिससे अलग-अलग संस्कृतियों का संगम होता है और आप अलग अनुभव ले पाते हैं।
इस ब्लॉग सीरीज़ में आप मेरे नजरिये से रूस को देखेंगे, यहाँ की ऐतिहासिक इमारतों, खान-पान, रहन-सहन, कला, संस्कृति, साहित्य, भाषा, किस्से व कहानियाँ इत्यादि विषयों पर ब्लॉग पढ़ पाएंगे जो मेरे निजी अनुभवों पर आधारित होंगे। इस ब्लॉग यात्रा में आप रूसी भाषा, संस्कृति और समाज को मेरे साथ-साथ एक सहयात्री के रूप में जानेंगे।